लेखनी प्रतियोगिता -31-Aug-2023
दैनिक प्रतियोगिता
ओपन कविता
*अब के सावन कर देना उद्धार*
शिव शंकर भोले करूं
विनती बारम्बार
गौरा की तरह मेरा भी
कर देना उद्धार !!
तुमने उमा का किया
सावन में श्रृंगार
पुरूष प्रकृति का मिलन
होता सदा बहार !!
वन उपवन अरे खेत में
हरी चूनर लहराई
सागर नदिया ताल में
हो रही हाथापाई
हरी चूड़ियां पहनकर
प्रकृति करे सगाई
लहरों का ढोलक बजा
बूंदों की शहनाई !!
शंख डमरू की आवाजें
आती मंदिर माही
मन मेरा झूम रहा
मयूर सर्प न की नाई
नभ झुका धरा पर
चला बादल को चूम के
पुरूष से प्रकृति मिली
आया सावन झूम के !!
अपर्णा गौरी शर्मा 🌿💦
Milind salve
04-Sep-2023 05:33 PM
Nice 👍🏼
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Gunjan Kamal
04-Sep-2023 04:43 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति 🙏🏻🙏🏻
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Sant kumar sarthi
01-Sep-2023 06:55 AM
👏👌🙏🏻
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